हमारी कश्मीर-नीति के दोष
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कांग्रेस की आदत है- समस्या पैदा करो, उसे हल करने का नाटक करते हुए बना रहने दो और उसकी दुहाई देते हुए वोट बटोरते रहो। नेहरू काल में कश्मीर समस्या बन कर उभरा और उनके उत्तराधिकारियों ने उसे इस नासूर बना दिया।
आलोक बृजनाथ; 07.06.2019
पाकिस्तान के प्रति भारतीय दृष्टि तथ्यात्मक रूप से सदा दोषपूर्ण रही है। पाकिस्तान ने आजादी की हलचल शुरू होते ही कश्मीर पर कबाइलियों की आड़ में सैन्य आक्रमण किया और तत्कालीन भारतीय नेतृत्व की कमजोरी के कारण उसके एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया जिसे वह आज ‘आजाद कश्मीर’ कहता है। बाद में भी भारतीय नेताओं ने बड़ी-बड़ी मूर्खताएं की जिनके कारण आक्रमणकारी पाकिस्तान इस्लाम का रहनुमा बन कर कश्मीरियों के हितों के रक्षक का नकाब लगा लेने में सफल हो गया और भारतीय नेताओं की बेवकूफी से एक सीधा-सादा अतिक्रमण का द्विपक्षीय मसला यूएन तक जा पहुंचा।
पाकिस्तान का एजेंडा
एक वक्तव्य याद करें। बेनजीर भुट्टो के अब्बा जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान में फांसी पर लटकाया गया था। इससे पहले जब वे उस मुल्क के पीएम थे, तब उन्होंने कहा था-‘हमें भले ही एक हजार साल तक लड़ना पड़े, भूखों मरना पड़े, घास-फूस की रोटी खाकर गुजारा करना पड़े, सब कुछ सहन करेंगे लेकिन कश्मीर लेकर रहेंगे।’ यह कोई सामान्य कथन नहीं था। यह पाकिस्तान की राजनीति का आदि और अंत बयान करने वाला कथन है। शुरुआत से लेकर आज तक पाकिस्तान के रहनुमा इसी के ईद-गिर्द घूमते, चुनाव जीतते और सत्ता-सुख भोगते रहे हैं अर्थात पाकिस्तान का एकमात्र एजेंडा है भारत से कश्मीर हथियाना और इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। इसके बरअक्स भारतीय पक्ष ने हमेशा मूर्खताओं के अंबार खड़े किए हैं। कई युद्धों में पाकिस्तान को हराया लेकिन हमेशा उसे ऐसे ही छोड़ दिया। विजेता को उससे कुछ तो वसूल करना था? नहीं किया। 1971 के युद्ध में बांग्लादेश को आजाद कराया गया। लगभग 94 हजार पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाए गए लेकिन छोटे भाई समझ कर छोड़ दिए गए। 2 जुलाई 1972 को शिमला समझौता रूपी एक दोना भी हासिल हुआ जिसका कबाड़ पाकिस्तान न जाने कितनी बार चीन को बेचता रहा और हमारे हुक्मरान नींद लेते रहे।
यह पूछा जाना चाहिए कि एक दुश्मन देश को बार-बार हराने के बावजूद उस पर इतनी मेहरबानियों का कारण क्या है? पूछा जाना चाहिए कि अगर आपने इतनी मूर्खताएं नहीं की होतीं तो क्या यह संभव था कि पाकिस्तान अपने स्कूली बच्चों को पढ़ाता कि पाकिस्तान ने तमाम युद्धों में भारत को हराया है। भारत युद्धों के बारे में गलत दावे करता है।
कांग्रेस की शुरुआती आदत है-समस्या पैदा करो। उसे हल करने का नाटक करते हुए बना रहने दो और उसकी दुहाई देते हुए वोट बटोरते रहो। जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में कश्मीर समस्या बन कर उभरा और उनके उत्तराधिकारियों ने उसे इस कदर नासूर बना दिया कि आज समूचा भारत उससे परेशान है।
मोदी-अभियान
अगर मोदी सरकार नहीं आयी होती, तो क्या देश को पता लग पाता कि कांग्रेस कश्मीर के अलगाववादियों को शुरुआत से बड़ी-बड़ी रकमों का प्रतिमाह भुगतान विशेष भत्तों के रूप में करती आयी है। वे बिना कोई काम किए आलीशान जिंदगी जीते रहे। अब इनमें से कई जेल में हैं। उनके बच्चे विदेशों में पढ़-लिख कर वहीं के नागरिक बन रहे हैं ताकि अपना जीवन आनंदपूर्वक गुजार सकें। ये घाटी में न स्कूल खुलने देते हैं, न सिनेमाघर। आतंकवाद को इन्होंने व्यापार बना लिया है। नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद ढेर सारे अलगाववादियों पैसे और सुविधाएं बंद कर उन्हें उनकी औकात बता दी गयी। नये गृहमंत्री जम्मू-कश्मीर पर ब्लूप्रिंट तैयार करवा रहे हैं। उसके बाद कश्मीर संकट पर काबू पाने का अभियान आगे बढ़ेगा।