गांधी को नये सिरे से समझने की जरूरत : राम बहादुर राय

वाराणसी, 21 जुलाई : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में उनके तप, त्याग और संघर्षो को याद किया जा रहा है। उनके जाने के 71 साल बाद भी उन पर बहस चल रही है। शोध हो रहा है। इतिहास में दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है जिस पर इतने लम्बे सालों तक बहस चली हो। यह बहस भी अकारण नहीं है। गांधी अबूझ और अनोखे हैं। वे अपने जीवन काल में जितने अबूझ थे, उतने ही आज भी हैं।
यह विचार हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषीय संवाद समिति के समूह सम्पादक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र नई दिल्ली के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय ने रविवार को राष्ट्रवादी चिंतक डा. सुरेश अवस्थी की 13वीं पुण्यतिथि पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के केएन उड़प्पा सभागार में डा. सुरेश अवस्थी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से आयोजित व्याख्यान माला में व्यक्त किये। राम बहादुर राय ने डा. सुरेश अवस्थी के अयोध्या आन्दोलन में किये गये संघर्षों का उल्लेख कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। उन्होंने कहा कि राजनीतिक गांधी को जिस रूप में देश को जानना था, उसे भुला दिया गया। उन लोगों ने भी उनकी उपेक्षा की जो उनके नाम पर राजनीति करते रहे। राजनीतिक गांधी को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस के तत्कालीन बड़े नेता भी नहीं समझ पाये।
राय ने नवोत्थान पत्रिका में अपने एक लेख सहित देश और दुनिया भर के दार्शनिकों, इतिहासकारों, राजनीतिज्ञों के गांधी के बारे में लेख, किताबों और उनके नजरिये का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी को समझने का प्रयास विनोवा भावे ने भी ‘गांधी को जैसा मैंने देखा है’ किताब में किया है। जीवतराम भगवानदास कृपलानी ने भी गांधी को करीब से समझने का प्रयास किया। इतिहासकार धर्मपाल ने भी गांधी को लेकर लिखा है। अफ्रीका और घाना में एक समूह है जो आज गांधी को नस्लवादी ठहरा रहा है। इससे गांधी पर पूरी दुनिया में एक नई बहस की शुरुआत हो गई हैं।
गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने की। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर के निजी सचिव रहे एचएन शर्मा, भाजपा एमएलसी लक्ष्मण आचार्य, रोहनिया विधायक सुरेन्द्र सिंह की खास उपस्थिति रही। संचालन प्रो. बेचन जायसवाल ने किया। इसके पूर्व ट्रस्ट के पदाधिकारियों सुधीर मिश्र, विशाल अवस्थी आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
पीएम मोदी ने गांधी के विचारों को समझा
राजनीतिक गांधी को वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समझा। उन्होंने गांधी के विचारों को समझा और माना। जिन विचारों में पूरी दुनिया समस्याओं का समाधान तलाश रही है, उन विचारों को अंगीकार कर प्रधानमंत्री ने गांधी को अपना लिया। उस दिन से गांधी नस्लवादी हो गये। ऐसे में गांधी को नये सिरे से समझने की जरूरत है। तभी भारत स्वयं में उपलब्ध होगा।