विश्व उर्दू दिवस पर समाज के लिए काम करने वाली हस्तियाें को किया सम्मानित

नई दिल्ली : अल्लामा इक़बाल के जन्म दिवस के अवसर पर हर साल मनाए जाने वाले विश्व उर्दू दिवस समारोह का आयोजन कोरोना वायरस महामारी के बीच दिल्ली में किया गया। पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू यूथ सेंटर के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के लिए काम करने वाली विभिन्न हस्तियों को सम्मानित भी किया गया है।
इस दौरान डॉ. सैयद अहमद खान ने कहा कि देश का गौरव बढ़ाने और नवजवानों में जोश भरने वाले राष्ट्रीय गीत सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा के रचियता महान दार्शनिक एवं विश्वविख्यात शायर अल्लामा इकबाल के जन्म दिन के अवसर पर प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषा उर्दू के विकास एवं उत्थान के लिए विश्व उर्दू दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कुछ चुनिन्दा हस्तियों को उनकी जनसेवा के लिए सम्मानित भी किया जाता है।
इस वर्ष दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. जफरुल इस्लाम, दैनिक भास्कर के पी मलिक, पायनियर दिल्ली के उप मुख्य संपादक जाहिद अली, दैनिक इंकलाब यूपी संस्करण के ब्यूरो प्रमुख जीलानी खां, राष्ट्रीय सहारा से उप मुख्य सम्पादक जमीर हाशिमी, अशरफ़ बस्तवी, हकीम अताउर्रहमान अजमली आदि को सम्मानित किया गया।
इसके अलावा गुलफाम अहमद मुजफ्फऱ नगर, डॉ. वसीम राशिद नई दिल्ली, अली आदिल नई दिल्ली, डॉ. मोहम्मद सिराज अज़ीम, मोहम्मद अकरम प्रधान, मुहतरमा ज़ाहिदा बैगम, अबु नोमान आदि सम्मानित किए गए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर मोहम्मद ख्वाजा इकरामुद्दीन ने की। उन्होंने कहा कि उर्दू एशिया की सबसे बड़ी जुबान है। इसका भविष्य उज्जवल है। ख्वाजा इकरामुद्दीन ने कहा कि जिस भाषा का सहित्य जितना असरदार होता है, वह भाषा उतनी ही शक्तिशाली होती है। उन्होंने यह भी कहा कि उर्दू भाषा में रोजग़ार भी अधिक है।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि इस वर्ष विश्व उर्दू दिवस समारोह में उर्दू की संवैधानिक स्थिति को लागू करने पर फोकस किया गया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि हर भाषा को सरकार की सरपस्ती हासिल है।
उर्दू को भी भारत सरकार और प्रान्तीय सरकारों की सरपरस्ती हासिल है लेकिन क़ानूनी तौर पर जो हक़ उर्दू का है वह उसे नहीं मिल रहा है। हालांकि, उर्दू वाले उर्दू के विकास के लिए प्रयासरत हैं। उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है।
अन्य वक्ताओं में ख्वाजा शाहिद आईएएस, डॉ. सैयद फ़ारूक़, मौलाना मोहम्मद रहमानी, प्रो. सलीम क़िदवई, तहसीन अली उसारवी आदि ने भी अपने विचार रखे। अंत में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया और दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, तेलंगाना, झारखंड आदि सरकारों से मांग की गई कि वह उर्दू को उसका जायज़ मुक़ाम दें और सरकारी नौकरियों में उर्दू जानने वालों के लिए भी कार्यक्रम का आगाज मौलाना बुरहान अहमद क़ाज़मी ने कुरआन की आयतें पढ़ कर किया। जबकि मौलाना एम रिज़वान अख्तर क़ाज़मी ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।