बिहार के किशनगंज में दुर्लभ प्रजाति की छिपकली टोके गेको के साथ दो तस्करों को दबोचा गया है. यह छिपकली तसकरी के लिए नेपाल भी भेजा जाता है. बताया जाता है कि इसकी कीमत एक करोड़ रुपये तक है.

किशनगंज: गत रविवार की शाम 19वीं वाहिनी एसएसबी ठाकुरगंज प्रखंड के सुखानी एवं आमबाड़ी बीओपी ने सुखानी थाना क्षेत्र के साबोडांगी चौक के समीप गुप्त सूचना के आधार पर दुर्लभ प्रजाति की छिपकली टोके गेको को अंडा समेत बरामद किया.

तस्करी की नीयत से ले जा रहे थे छिपकली

एसएसबी के अनुसार उक्त वन्य जीव को कार से एनएच 327ई मार्ग से तस्करी की नीयत से ले जाया जा रहा था. एसएसबी ने उक्त वाहन को भी जब्त कर लिया है. साथ ही दो तस्करों को भी हिरासत में लेकर वन विभाग के सुपूर्द कर दिया. आरोपितों में एक इस्लाम पिता शमशुद्दीन साकिन बहावलगाछ पानबाड़ा पोस्ट तैयबपुर, पोठिया तथा दूसरा नुरामिन हक पिता साबुल शेख साकिन सालकोशा श्रीग्राम, थाना चापर जिला बुधरा असाम निवासी है.

टोके गेको छिपकली से कई प्रकार की बनायी जाती है दवा

सूत्रों की मानें तो टोके गेको छिपकली एक दुर्लभ और लुप्त प्रजाति की है. इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है. भारत के रास्ते दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों में इसकी अवैध तस्करी की जाती है. यह छिपकली मुख्यतः इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पायी जाती है.
 

जानें उपयोग

इस छिपकली का उपयोग मर्दानगी बढ़ाने वाली दवा के अलावा डायबिटीज, एड्स और कैंसर आदि की दवा बनाने में किया जाता है. इन दुर्लभ प्रजाति के जीवों को रखना या इनका व्यापार करना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधान 4 के अंतर्गत प्रतिबंधित है.

क्यों है टोके गेको छिपकली की डिमांड

  • टोके गेको छिपकली की एक दुर्लभ और लुप्त प्रजाति है, इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत बड़ी मांग है. इसलिए इसकी तसकरी भी काफी होती है.

  • इसे पकड़ कर उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में अवैध तस्करी की जाती है. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इसकी बेहद मांग है.

  • यहां के लोगों का मानना है कि गेको मांस से बनी दवाइयां कई बीमारियों का इलाज कर सकती हैं.

  • इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाने वाली इस छिपकली की कीमत एक करोड़ तक बतायी जाती है.