परिजन भले ही स्कूलों में ट्रांसपोर्टेशन फीस के नाम पर स्कूल बस के लिए मोटी रकम चुका रहे हो, लेकिन बावजूद इसके भी नौनिहाल इन स्कूली वाहनों में सुरक्षित नहीं है। दो दिन पहले को जहां गुरुग्राम में एक वैन चालक की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई तो वहीं, बुधवार को गाजियाबाद के मोदीनगर में स्कूल बस की गलती से कक्षा चार के छात्र की मौत से हंसते-खेलते परिवार में मातम छा गया। दरअसल, मोदीनगर में हापुड़ मार्ग पर यूटर्न लेते समय स्कूल बस कॉलोनी के गेट से टकरा गई और उसी समय बस की खिड़की से सिर निकालकर उल्टी कर रहे छात्र का सिर गेट से टकरा गया जिससे उसकी मौत हो गई।
 

मोदीनगर की सूरत सिटी कालोनी निवासी नितिन भारद्वाज सीएमओ कार्यालय मुरादाबाद में कार्यरत हैं। उनका 11 साल का बेटा अनुराग भारद्वाज दयावती पब्लिक स्कूल में कक्षा चार का छात्र था। बुधवार सुबह वह स्कूल बस में बैठकर स्कूल जा रहा था। बस जब हापुड़ मार्ग पर पहुंची तो अचानक अनुराग को उल्टी लगनी शुरू हो गई और वह खिड़की से मुंह बाहर निकालकर उल्टी करने लगा। इसी बीच चालक ने मोदीपुर पुलिस चौकी के सामने से स्कूल की ओर जाने वाले मार्ग की बस मोड़ दी। जैसे ही बस मोड़ी तो अनुराग का सिर गेट की दीवार से जा लगा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

इससे पहले, सोमवार को गुरुग्राम में एक मासूम बच्चे की वैन चालक की लापरवाही से मौत हो गई। स्कूल की छुट्टी होने के बाद दोपहर डेढ़ बजे के आसपास स्कूल की वैन शिकोहपुर पहुंची और चार साल के बच्चे को नीचे उतारने के लिए वैन का गेट खोल दिया। ऐसे में बच्चा नीचे उतर रहा था, तभी चालक ने वैन को चला दिया जिससे बच्चा नीचे गिर गया और वैन के नीचे आ गया। गंभीर रूप से घायल बच्चे को सिविल लाइन स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। 
 

मृतक छात्र के पिता गुलशन ने बताया कि उनके चार साल के बेटे ने 13 दिन पहले ही स्कूल में जाना शुरू किया था और वह काफी खुश था। स्कूल और वैन चालक की लापरवाही के कारण आज कलेजे का टुकड़ा उनसे दूर हो गया। गुलशन ने बताया कि चालक बड़ी तेजी में वैन चलाता था और वैन से बच्चों को उतारने के लिए कोई हेल्पर भी नहीं था। उन्होंने बताया कि सोमवार दोपहर को चालक उनके पहुंचने से पहले ही बेटे को रोड पर गंभीर हालत में छोड़कर चला गया था। जब वह स्टॉप पर पहुंचे तो बेटा नीचे गिरा हुआ था। चालक ने उनके आने का भी इंतजार तक नहीं किया। दोपहर को वैन चालक काफ जल्दी में रहता है। उन्होंने बताया कि सुबह तो वह बेटे को खुद ही वैन में चढ़ाते और सुरक्षित तरीके से सीट पर बैठाते थे। आरोप है कि स्कूल और चालक की लापरवाही के कारण आज उनका बेटा साथ नहीं है।

इन नियमों का पालन करना जरूरी
- बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए।
- बस में आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
- बस की खड़कियों में शीशे और लोहे की रॉड लगी होनी जरूरी है।
- अग्निशमन यंत्र लगा होना चाहिए।
- स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए।
- स्कूल बसों का ट्रांसपोर्ट परमिट होना चाहिए।
- बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
- बच्चों को चढ़ाने एवं उतारने के लिए स्कूल का एक सहायक या सहायिका भी होनी चाहिए।
- बस के दरवाजे ठीक से बंद होने चाहिए और चलती बस का दरवाजा लॉक होना चाहिए।
- स्कूल बस की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए।