राज्य में फिलहाल क्षमता से 20 प्रतिशत भी जांच नहीं हो रही है। पूर्व में जहां प्रतिदिन 60 हजार से अधिक सैंपलों की जांच हो रही थी, फिलहाल एक दिन में औसतन 7 हजार जांच हो रही है। बावजूद इसके मरीजों को एक दिन में जांच की रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। जांच के लिए पेंडिंग सैंपलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 
अप्रैल की बात करें तो एक अप्रैल को राज्य भर में 12404 सैंपलों की जांच हुई थी। एक अप्रैल को जांच के लिए पेंडिंग सैंपलों की संख्या महज 1064 थी। जबकि, 19 अप्रैल को राज्य भर में महज 8582 सैंपलों की जांच हुई, जबकि, 19 अप्रैल को जांच के लिए पेंडिंग सैंपलों की संख्या बढ़कर 10864 पहुंच गयी है। यानी बीते 15 दिनों में जांच के लिए पेंडिंग सैंपलों की संख्या में 10 गुणा से ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गयी। 
जांच की रफ्तार और पेंडिंग सैंपलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते पांच दिनों (15 से 19 अप्रैल) में राज्य में कोरोना की जांच के लिए 34321 सैंपल कलेक्ट किए गए। लेकिन बीते पांच दिनों में महज 31536 सैंपलों की ही जांच हो सकी। यानी बीते पांच दिनों में 2785 सैंपलों की जांच पेंडिंग हो गयी। अब मरीजो की बात करें तो बीते पांच दिनों में 31536 सैंपलों की जांच में 14 मरीज मिले हैं, यानी पॉजिटिविटी रेट 0.4 प्रतिशत पाई गयी है।

राज्य में जांच की स्थिति यह है कि ज्यादातर जिलों में न तो आरटीपीसीआर से जांच हो रही है, न ही ट्रूनेट से जांच किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बीते शुक्रवार को महज छह जिलों में आरटीपीसीआर से 363 जांच हुए। जिसमें रांची में सर्वाधिक 159, साहिबगंज में 75, हजारीबाग में 55, पूर्वी सिंहभूम में 37 व बोकारो में 34 जांच किए गए। जबकि, राज्य के 9 जिलों में ट्रूनेट से कुल 76 जांच किए गए। जिसमें सरायकेला में सर्वाधिक 19, पूर्वी सिंहभूम में 18 व देवघर में 15 जांच किए गए। शेष छह जिलों में ट्रूनेट जांच की संख्या 10 से कम थी। 

वहीं, जो जांच हो रहे हैं, उसमें से भी अधिकांश जिलों में ज्यादातर जांच केवल रैपिड एंटीजन से ही किए जा रहे हैं। शुक्रवार की बात करें तो राज्य भर में किए गए जांच में 89.32 प्रतिशत जांच केवल रैपिड एंटीजेन से किए गए। कुल 4111 सैंपलों की जांच की गयी, जिसमें 3672 रैट से, 76 ट्रूनेट से जबकि, 363 जांच आरटीपीसीआर से किए गए। राज्य के 22 जिलों में रैट से कुल 3672 जांच किए गए। जिसमें 13 जिलों में 100 प्रतिशत जांच रैपिड एंटीजन के माध्यम से हुए। इन जिलों में आरटीपीसीआर व ट्रूनेट के माध्यम से एक भी सैंपल की जांच नहीं हुई।