हैलिफ़ैक्स /नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं को संसद द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है और जनता संसद को अपनी सामाजिक आर्थिक स्थिति में परिवर्तन के वाहक के रूप में देखती है।
उन्होंने आगाह किया कि इस लिए सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद का दायित्व है कि वह जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करे।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गत बुधवार को 65वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में "ए पीपल्स पार्लियामेंट: एक्सेसिबिलिटी थ्रू इनोवेशन" विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने प्रतिभागियों से कहा कि वे एक समृद्ध, समावेशी और जागरुक समाज के निर्माण के लिए कार्य करें, ताकि विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच पाए।
भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था की सफलता पर बोलते हुए बिरला ने कहा की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 75 वर्षों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से हमारे देश की जनता ने लोकतांत्रिक संस्थाओं में बार-बार अपना विश्वास व्यक्त किया है।
चुनावों में मतदान के बढ़ते प्रतिशत ने यह साबित किया है कि जनता लोकतंत्र को शासन की सर्वोत्तम पद्धति मानती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने विश्वपटल पर भारत के उद्भव की सराहना करते हुए कहा की अपनी 75 वर्षों की इसी सफल यात्रा को हम इस वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं जिसके अंदर हम अपने देश को समृद्धि एवं विकास के क्षेत्र में विश्व की अग्रिम पंक्ति में रखने का संकल्प कर रहे हैं।
संसदीय कार्यप्रणाली में टेक्नोलॉजी की भूमिका पर रेखांकित करते हुए बिरला ने कहा की तकनीक ने लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं नागरिकों के बीच की दूरी को समाप्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में संचार क्रांति ने लोकतंत्र को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिक न सिर्फ़ संसद में जनप्रतिनिधियों के कार्यों पर निगरानी रख सकते हैं, बल्कि संसदीय लोकतंत्र में जनता की भागीदारी को और अधिक सहज और सुलभ बनाया जा सकता है।
इस सन्दर्भ में उन्होंने डिजिटल इंडिया मिशन, डिजिटल संसद, संसद टीवी और मोबाइल ऐप के बारे में उल्लेख किया।
बिरला ने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं मोबाइल एप्लीकेशनों से संसद की तथा सांसदों की कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है और डिजिटल संसद ऐप और डिजिटल लाइब्रेरी से संसद के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।
उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रमंडल देशों की संसदों को नियमित रूप से आपस में बातचीत करनी चाहिए, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना चाहिए और इन सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने के लिए एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
बाद में, बिरला ने सीनेट, कनाडा के अध्यक्ष जॉर्ज जे फ्यूरी से मुलाकात की । भारत में राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनावों का उल्लेख करते हुए उन्होंने फ्यूरे को अवगत कराया कि एक आदिवासी महिला को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है।
उन्होंने कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में संसदीय समितियों की भूमिका को मजबूत करने, दोनों संसदों के बीच विचारों के आदान-प्रदान, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, कनाडा में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और आपसी हित के कई अन्य मुद्दों पर जॉर्ज जे फ्यूरी से विचार साझा किए।