आखिरकार गुजरात के चर्चित युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल गुरुवार को BJP में शामिल हो गए। 2019 में कांग्रेस में शामिल होने वाले हार्दिक ने इस साल 18 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। पाटीदार आंदोलन की वजह से BJP को 2017 के विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले BJP एक बार फिर पाटीदार समुदाय को लुभाने के लिए हार्दिक पर बड़ा दांव खेल रही है। माना जाता है कि गुजरात में पाटीदार की आबादी 1.5 करोड़ के करीब है और लगभग 70 विधानसभा सीटों पर ये प्रभाव डालते हैं।
ऐसे में आइए जानते हैं कि हार्दिक पटेल के आने से BJP को कितना फायदा होगा? क्या 2017 के चुनाव में हार्दिक के चलते ही BJP को नुकसान हुआ था? गुजरात चुनाव में पाटीदार इतने अहम क्यों हैं?
2017 के विधानसभा चुनाव का हार्दिक कनेक्शन क्या था?
बात 2015 की है। गुजरात में पाटीदार समाज OBC आरक्षण की मांग को लेकर मुखर हो रहा था। इसी बीच एक युवा हार्दिक पटेल ने OBC आरक्षण दिलाने के लिए पाटीदार अनामत आंदोलन समिति बनाई थी। हार्दिक के नेतृत्व में पाटीदार आंदोलन इतना मजबूत हुआ कि इसकी रैलियों में लाखों लोग आने लगे थे और दो दशक से भी ज्यादा समय से गुजरात में सत्ता में कायम BJP को चुनाव हारने का डर सताने लगा था।
2017 के विधानसभा चुनावों में इस आंदोलन का असर भी दिखा। BJP ने विधानसभा चुनाव में जीत जरूर दर्ज की, लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले पार्टी को 16 सीटें कम मिलीं और वह सिर्फ 99 सीटें ही जीत सकी। हार्दिक पटेल ने इस चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन दिया और कांग्रेस ने पिछली बार के मुकाबले 16 सीटें ज्यादा हासिल कीं। कांग्रेस को इस दौरान 77 सीटों पर जीत मिली थी। यह कांग्रेस का गुजरात में 3 दशकों में सबसे अच्छा चुनावी प्रदर्शन था।
हार्दिक को इसका इनाम भी मिला। मार्च 2019 में लोकसभा चुनावों के ठीक पहले पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए और जुलाई 2020 में उन्हें गुजरात में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। हालांकि, 2 साल के भीतर ही उन्होंने कांग्रेस पर नजरअंदाज करने का और बड़े फैसले लेने में उनसे सलाह न लेने का आरोप लगा कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
हार्दिक के आने से BJP को कितना फायदा होगा?
गुजरात में पाटीदार वोटर 14% हैं। इसमें कड़वा और लेउवा पटेल आते हैं। 1984-85 से ही पाटीदार समुदाय BJP का लॉयल वोट बैंक रहा है। इसका कारण कांग्रेस नेता और गुजरात के 4 बार मुख्यमंत्री रहे माधव सिंह सोलंकी की KHAM थ्योरी को माना जाता है। सोलंकी KHAM यानी क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम गठजोड़ की वजह से ही 4 बार मुख्यमंत्री बने। इसी वजह से पाटीदार कांग्रेस से दूर होते गए।
BJP 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आंदोलन के बाद से पटेल वोट को अपने पाले में बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में हार्दिक पटेल के आने से BJP 2017 विधानसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई कर सकती है, क्योंकि नाराजगी के बावजूद पाटीदार समुदाय का एक बड़ा वर्ग BJP के साथ जुड़ा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि जो पाटीदार BJP से दूर हुए थे वे हार्दिक के आने से फिर से एक बार पार्टी से जुड़ जाएंगे।
कई जानकारों का कहना है कि हार्दिक के आने से नरेश पटेल के प्रभाव का मुकाबला करने में भी BJP को मदद मिलेगी। नरेश पटेल राजकोट के बिजनेसमैन हैं। नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
यही कारण है कि BJP पाटीदारों को भी लुभाने की कोशिश कर रही है। माना जाता है कि 1.5 करोड़ की आबादी के साथ पाटीदारों का 182 विधानसभा सीटों में से 70 पर प्रभाव है। गुजरात में कई मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय से हुए हैं। इनमें चिमनभाई पटेल, केशुभाई पटेल, बाबूभाई पटेल, आनंदीबेन पटेल और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हैं।
आप को काउंटर करने और सौराष्ट्र में BJP को मजबूत बनाने में कितने मददगार होंगे हार्दिक?
BJP नेतृत्व हार्दिक को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, यानी आप को काउंटर करने के हथियार के तौर पर भी देखता है। साथ ही पार्टी हार्दिक को एक प्रभावशाली नेता के तौर पर देख रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में पहले ही कहा गया कि BJP के लिए हार्दिक को पार्टी में शामिल करने का यही सही समय है।
BJP इसके जरिए 1985 में माधव सिंह सोलंकी के 149 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने और सौराष्ट्र में बड़ा प्रभाव बनाना चाहती है। साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्य में बढ़ती पैठ को विफल करने की योजना बना रही है। गुजरात का सौराष्ट्र 1995 से भाजपा का गढ़ बना हुआ था।
हालांकि, पानी की कमी और कृषि संकट के साथ पाटीदार आंदोलन के चलते BJP को 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की कुल 47 सीटों में से कांग्रेस ने 28 पर जीत दर्ज की और BJP को सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत मिली, जबकि 2012 के चुनाव में BJP ने यहां से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
इस बार हार्दिक को लाने की BJP की योजना 2012 वाले रिजल्ट को दोहराने की है, जिसमें BJP ने सौराष्ट्र में 30 सीटें जीती थीं। सौराष्ट्र में लेउवा पाटीदार बड़ी संख्या में हैं। इसलिए कांग्रेस और BJP दोनों बिजनेसमैन नरेश पटेल को भी पार्टी में लाने की कोशिश में जुटे हैं। नरेश श्री खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। खोडलधाम ट्रस्ट राजकोट के लेउआ पटेल समुदाय का एक अहम संगठन है।