आयुष्मान खुराना की फ़िल्म अनेक, उत्तर पूर्व भारत के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित है. जो अब तक हमारे सिनेमा से अछूता सा रहा है इस बार भी विषय संवेदनशील है.

फ़िल्म- अनेक

निर्माता-बनारस फिल्म्स और टी सीरीज

निर्देशक-अनुभव सिन्हा

कलाकार-आयुष्मान खुराना, कुमुद मिश्रा, मनोज पाहवा,एंड्रिया और अन्य

रेटिंग- साढ़े तीन

अनेक मूवी रिव्यू: निर्माता, निर्देशक और लेखक अनुभव सिन्हा अपने करियर की इस नयी इनिंग में नए अंदाज और नए तेवर की कहानियों को दर्शकों के सामने लेकर आ रहे हैं. उनकी हालिया रिलीज फ़िल्म अनेक, उत्तर पूर्व भारत के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित है. जो अब तक हमारे सिनेमा से अछूता सा रहा है इस बार भी विषय संवेदनशील है और यह फ़िल्म भी कलेक्टिव फेलियर की बात करती है समाज से ज़्यादा राजनीति के. फ़िल्म में एक संवाद भी है कहीं ऐसा तो नहीं है कि पीस किसी को चाहिए ही नहीं वरना इतने सालों से एक छोटी से प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हुई. कुलमिलाकर कुछ खामियों के बावजूद यह फ़िल्म आपको सोचने को मजबूर करती है और नॉर्थ ईस्ट के लोगों के दर्द को भी महसूस करवाती है.

फिल्म अनेक की कहानी

कहानी की बात करें तो यह फ़िल्म काबिल अंडर कवर एजेंट अमन (आयुष्मान खुराना) की है. जो अब तक कई सीक्रेट मिशन को अंजाम दे चुका है. इस बार सरकार ने उसकी पोस्टिंग नार्थ ईस्ट में की है. दिल्ली की सरकार का मकसद वहां के अलगाववादी संगठनों के साथ शांति वार्ता करने की है लेकिन अपनी शर्तों पर. इसके लिए सरकार ने एजेंट अमन की मदद से एक अलगाववादी नेता जॉनसन की डमी को वहां खड़ा भी कर दिया था लेकिन वह अब डमी भर नहीं है. वांगनाओं ने जॉनसन की शक्ल अख्तियार कर ली है. जो इस शांति वार्ता को नहीं होने देना चाहता है. वो अपनी शर्तों पर अपनी जमीन पर जीना चाहते हैं. वे भारत की पहचान नहीं चाहते हैं क्योंकि उस पहचान ने आज तक उन्हें कुछ भी नहीं दिया है.

बॉक्सर आइडो का सपना

कहानी के एक सिरे में युवा बॉक्सर आइडो (एंड्रिया)भी है. जिसका सपना भारतीय टीम के लिए मेडल जीतने का है क्योंकि इससे अपने यहां की परेशानी को बड़े लोगों तक पहुंचाने का उसे मौका मिल जाएगा,लेकिन भारतीय टीम में उसकी एंट्री आसान नहीं है. खास बात है कि आइडो, वांगनाओ की ही बेटी है. दोनों की लड़ाइयों में जीत किसकी होती है और अमन किसका साथ देता है नार्थ ईस्ट के लोगों का या सरकार का. यही आगे की कहानी है.