मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूजा सिंघल को 11 मई को गिरफ्तार कर लिया. इस तरह झारखंड कैडर की ये पांचवीं आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें जेल की हवा खानी पड़ी है. इनसे पहले चार आईएएस अधिकारी अलग-अलग मामलों में जेल जा चुके हैं.
Jharkhand News: झारखंड की महिला आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल (Puja Singhal) जहां भी रहीं, चर्चा में रहीं. जिला से लेकर राज्य स्तर पर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने हुए जिम्मेदारी निभायी. यही कारण है कि हरेक सरकार में वह महत्वपूर्ण पद पर रहीं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूजा सिंघल को 11 मई को गिरफ्तार कर लिया. इस तरह झारखंड कैडर की ये पांचवीं आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें जेल की हवा खानी पड़ी है. इनसे पहले चार आईएएस अधिकारी अलग-अलग मामलों में जेल जा चुके हैं.
रह चुकी हैं इन पदों पर
2002 से 2004 हजारीबाग एसडीओ
08.09.2004 से 05.02.2005 संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग 06.02.2005 से 02.08.2006 निदेशक कल्याण विभाग
21.07.2005 से 02.08.2006 रांची नगर निगम
03.08.2006 से 16.08.2007 डीसी पाकुड़
03.08.2006 से 25.05.2007 निबंधक सहकारिता
16.08.2007 से 16.09. 2008 डीसी चतरा
16.09.2008 से 11.10.2008 डीसी लोहरदगा
13.10.2008 से 29.11.2008 संयुक्त सचिव योजना विभाग
27.11.2008 से 31.12.2008 परिवहन आयुक्त
01.01.2009 से 16.02.2009 निदेशक माध्यमिक शिक्षा
16.02.2009 से 19.07.2010 डीसी खूंटी
19.07.2010 से 08.06.2013 डीसी पलामू
08.06.2013 से 28.05.2014 श्रमायुक्त
08.07.2013 से 28.05.2014 उद्योग निदेशक
29.5.2014 से 27.03.2017 ओएसडी मुख्य सचिव
28.03.2017 से मई 2020 विशेष सचिव व सचिव कृषि
मई 2020 से 03 अगस्त 2021 पर्यटन व खेल सचिव
04.08.2021 से अब तक उद्योग व खान सचिव
चार आईएएस जा चुके हैं जेल
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (झारखंड कैडर) के चार अधिकारी अलग-अलग मामले में जेल जा चुके हैं. पशुपालन घोटाला मामले में सजल चक्रवर्ती को जेल की सजा हुई थी. अशोक कुमार सिंह को बिहार के एक मामले में जेल जाना पड़ा था. हालांकि, वह केस से बरी हो गये थे. बाद में दोनों अधिकारी झारखंड में मुख्य सचिव के पद पर रहे. इसके अलावा डॉ प्रदीप कुमार और सियाराम प्रसाद झारखंड में हुए दवा घोटाला मामले में जेल गये थे. यहां स्वास्थ्य विभाग में घोटाला हुआ था. तब विभाग के सचिव डॉ प्रदीप कुमार थे. उस समय बड़ी गड़बड़ी हुई थी. इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसी तरह का घोटाला सचिव सियाराम प्रसाद के कार्यकाल में भी हुआ था.